कर्नाटक हिंदी प्रचार समिति की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की प्रेरणा से मैसूर रियासत हिंदी प्रचार समिति के नाम से दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की शाखा के रूप में सन 1939 में हुई | आज यह संस्था अमृत महोत्सव मना चुकी है | भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम के अग्रणी नेता सर्व श्री एच.सी. दासप्पा जी, के. सी. रेड्डी जी, निटटूर श्रीनिवास राव जी, के.श्यामराज अय्यंगार जी, ए.जी. रामचन्द्रराव जी, एस. निजलिंगप्पा जी, रामकृष्ण हेगड़े जी, हारनहल्ली रामस्वामी जी आदि महानुभाव इस समिति के अद्यक्ष रहे और हिंदी प्रचार कार्य को दिशा प्रदान करते रहे | इन पचहत्तर साल में हिंदी प्रसार क्षेत्र में समिति ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है |
आज उसके 1,505 प्रचारक 673 शिक्षण केन्द्रों में राजभाषा के अद्यापन में लगे हुए है | प्रति वर्ष करीब 75 से 80 हजार छात्रों को हिंदी परिक्षाओं के लिए तैयार कर रहे हैं | राजधानी बेंगलुरु में 300` x 300` (तीन सौ गुना तीन सौ) के भूखंड पर समिति का विशाल भवन निर्मित है | दश लक्षों की तादाद में हिंदी छात्रों तथा अपने प्रशिक्षण महाविद्यालयों में सहस्त्रों की तादाद में हिंदी अद्यापकों को तैयार किया है | हिंदी अद्यापन प्रशिक्षण, पुनश्चर्या शिबिर तथा हिंदी कार्यशालाओं, निबन्ध, वाक्, एवं नाटक प्रतियोगिताओं तथा साहित्यिक संगोष्टियां, परिक्षोपयोगी व्याख्यानमाला आदि कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं | प्रयोजन मूलक हिंदी के प्रश्रय के लिए समिति संगणक वर्ग, हिंदी टंकण वर्ग,
कर्यालय लिपिकों को नि:शुल्क कार्यागार चलाती है |
समिति का अपना ग्रंथागार है | जिसमें करीब 13,000 से अधिक अनमोल गांथ हैं | समिति का अपना प्रकाशन तथा बिक्री विभाग (Sales saction) है | समिति द्वारा संचालित विविध परीक्षाओं की बहुतांश पाठ्यपुस्तकें समिति द्वारा प्रकाशित हैं | साथ ही 370 से अधिक नि:शुल्क हिंदी वर्ग चला रहीं हैं | “भाषा –पीयूष” समिति की अपनी सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा वैचारिक मुख पत्रिखा है, जो कर्नाटक की कला, साहित्य को प्रतिफलित कर रही है और राष्ट्र का भावैक्य साधती आ रही है |
यह अपार हर्ष की बात है गत वर्ष 2016 में डॉ.महादेवी वर्मा और डॉ.माखनलाल चतुर्वेदी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर साहित्यिक संथोष्टि का आयोजन बंगलुरु और बेलगाँव में किया गया | केंद्रीय आर्थिक मदद से भवानी प्रसाद मिश्र जी के चुनिन्दा साहित्य नामक पुस्तक का प्रकाशन करने का
निश्चय हुआ है | अलावा कन्नड़-हिंदी भक्ति साहित्य पर तुलनात्मक संगोष्टी का आयोजन किया गया | 16 वीं शताब्दी के कुमारव्यास रचयित “कर्नाट भारत कथा मंजरी” (कुमारव्यास महाभारत) का कन्नड़ से हिंदी में गद्यानुवाद किया है | कुवेम्पु संचयन का हिंदी अनुवाद कार्य पूर्ण हुआ है | कर्नाटक निवासी गैर हिंदी भाषी साहित्यकार को उनकी मौलिक हिंदी कृतियों पर पुरस्कार देने का उपक्रम शुरू कर समिति ने एक नया मील का पत्थर ही डाला है |